हमारे संस्कार ही स्वर्णिम संसार लायेंगे, जीन हाथों से हम दुसरे को मारते है, धक्का देते है, उनसे ही हम किसी को आशीर्वाद भी दे सकते है,...
जैसे जैसे ईलाज कराते गए.. मर्ज बढ़ता गया.. अर्थात डॉक्टर बीमारी को पकड़ ही ना पाया.. ठीक इसी प्रकार संसार का हर मनुष्य सुख–शांति की तलाश...